स्कन्द पुराणोक्त शनि स्तोत्र
शनि कई बार गोचरवश अथवा अपनी दशा/अन्तर्दशा में कष्ट प्रदान करते हैं, ऎसे में जातक को घबराने की बजाय शनि
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शनि कई बार गोचरवश अथवा अपनी दशा/अन्तर्दशा में कष्ट प्रदान करते हैं, ऎसे में जातक को घबराने की बजाय शनि
तत: स तुलसीदास: सस्मार रघुनन्दनं । हनुमन्तं तत्पुरस्तात् तुष्टाव भक्त रक्षणं ।।1।। धनुर्वाणो धरोवीर: सीता लक्ष्मण संयुत: । रामचन्द्र
शनि की पीड़ा से मुक्ति के अकसर लिए दशरथकृत शनि स्तोत्र का पाठ करने का परामर्श दिया जाता है.
श्रीशनि एवं शनिभार्या स्तोत्र एक दुर्लभ पाठ माना गया है, शनि के अन्य स्तोत्रों के साथ यदि इस दुर्लभ
शनि ग्रह की पीड़ा से बचने के लिए अनेकानेक मंत्र जाप, पाठ आदि शास्त्रों में दिए गए हैं. शनि ग्रह
आधुनिक समय में हर व्यक्ति शनि के नाम से भयभीत रहता है. इसका कारण शनि के विषय में फैली गलत