कन्या विवाह में विलम्ब के उपाय

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लाख प्रयास करने पर भी कई बार कन्या के विवाह में बार-बार अड़चने आती रहती हैं जिससे माता-पिता मानसिक परेशानी से घिर जाते हैं. कन्या के विवाह की अड़चन अथवा विलम्ब को दूर करने के कुछ उपाय बताए जा रहे हैं जिन्हें करने पर शीघ्र विवाह के योग बनते हैं. यदि कोई लड़की अपना मनोवांछित वर चाहती है तब वह भी इन उपायों को कर अभीष्ट वर प्राप्त कर सकती है.

जिस लड़की के विवाह में रुकावट आ रही है, उसे नीचे दिए मंत्र को गुरुपुष्य, रविपुष्य, अक्षय तृतीया अथवा किसी भी शुभ मुहूर्त में पढ़ना आरंभ करना होगा. दिए मंत्र को शिव-पार्वती अथवा माता के किसी मंदिर में धूप-दीप आदि जलाकर नियमित रुप से लाल तथा पीले फूल चढ़ाकर 51 हजार अथवा सवा लाख की संख्या में जाप करने होगें. मंत्र जाप आरंभ करने से पूर्व संकल्प करना होगा कि आप कितने समय में अर्थात कितने दिनों में जाप संख्या पूर्ण कर लेगें. यदि निश्चित किए समय में जाप पूरे होते हैं तो अवश्य ही अभीष्ट फल की प्राप्ति होगी.

नीचे दिए मंत्र (ऊँ ह्रीं गौर्ये नम:) के बाद, प्रतिदिन पार्वती जी का पूजन करने के बाद लड़की को प्रतिदिन श्रद्धापूर्वक निम्न पंक्तियों (इन पंक्तियों में सीता जी द्वारा पार्वती जी की स्तुति की गई है) का पाठ करना होगा जिससे उसका विवाह शीघ्र बिना किसी बाधा के पूर्ण हो जाएगा.

 

पंक्तियाँ –

जय-जय गिरिवर राज किशोरी । जय महेश मुख चन्द चकोरी।।

जय गजबदन षडाननमाता । जगत जननी दामिनी दुति गाता।।

 

नहिं तव आदि मध्य अवसाना । अमित प्रभाउ बेदु नहिं जाना।।

भव भव विभव पराभव कारिनि। विश्व बिमोहनि स्वबस बिहारिनि।।

 

पति देवता सुतीय महुँ मातु प्रथम तव रेख।

महिमा अमित न सकहिं कहि सहस् सारदा सेष।।

 

सेवत तोहि सुलभ फल चारी । बरदायनी पुरारी पिआरी।।

देबि पूजि पद कमल तुम्हारे । सुर नर मुनि सब होहिं सुखारे।।

 

मोर मनोरथु जानहु नीकें । बसहु सदा उर पुर सबहीं के ।।

कीन्हेऊँ प्रगट न कारन तेहीं । अस कहि चरन गहे बैदेही ।।

बिनय प्रेम बस भई भवानी । खसी माल मूरति मुसकानी ।।

सादर सियँ प्रसादु सिर धरेऊ । बोली गौरि हरषु हियँ भरेऊ ।।

 

सुनु सिय सत्य असीस हमारी । पूजिहिं मनकामना तुम्हारी ।।

नारद बचन सदा सुचि साचा । सो बरू मिलिहि जाहिं मनु राचा ।।

 

मनु जाहिं  राचेउ मिलिहि सो बरू सहज सुंदर साँवरो ।

   करुना निधान सुजान सीलु सनेह जानत रावरो ।।

 

एहि भाँति गौरि असीस सुनि सिय सहित हियँ हरषीं अली ।

 तुलसी भवानिहि पूजि पुनि  पुनि मुदित मन मंदिर चली ।।

 

 जानि गौरि अनुकूल सिय हिय हरषु न जाय कहि ।

    मंजुल मंगल मूल बाम अंग फरकन लगे ।।

 

मंत्र – Mantra

(ऊँ ह्रीं गौर्ये नम:)

‘हे गौरि ! शंकरार्धांगि ! यथा त्वं शंकरप्रिया ।

तथा मां कुरु कल्याणि कान्तकान्तां सुदुर्लभाम्।

अर्थात हे गौरी, शंकर की अर्धांगिनी ! जिस प्रकार तुम शंकर की प्रिया हो, उसी प्रकार हे कल्याणी ! मुझ कन्या को दुर्लभ वर प्रदान करो.

 

लड़की के शीघ्र विवाह के लिए दूसरा मंत्र – Second Mantra For Early Marriage

ऊँ कात्यायनि महामाये महायोगिनी अधीश्वरी।

नन्दगोपसुते देवि ! पतिं मे कुरु ते नम: ।।

उपरोक्त पंक्तियाँ श्रीमद्भागवत से ली गई हैं जिनका अर्थ है – हे कात्यायनि, महामाया, महायोगिनियों की अधीश्वरि ! मुझे भगवान कृष्ण सदृश पति प्रदान करो ! तुम्हे नमस्कार है.

इस उपरोक्त मंत्र का जाप तुलसी माला के साथ कात्यायनि देवी अथवा माता पार्वती की प्रतिमा अथवा चित्र के सामने करना चाहिए. मंत्र जाप 51 हजार अथवा सवा लाख की संख्या में संकल्प के साथ पूरे करने होगें जिससे कन्या का विवाह शीघ्र संपन्न होगा.

 

कन्या के शीघ्र विवाह के लिए तीसरा मंत्र – Third Mantra For Early Marriage

ऊँ देवेन्द्राणि नमस्तुभ्यं देवेन्द्रप्रियभामिनी।

विवाहं भाग्यमारोग्यं शीघ्रलाभं च देहि मे।।

उपरोक्त मंत्र का जाप भी तुलसी माला से करना होगा. इस मंत्र का जाप प्रतिदिन 108 बार तब तक करना होगा जब तक अभीष्ट फल की प्राप्ति ना हो जाए. जिस दिन से जाप आरंभ करना हो उससे पहले प्रतिष्ठित तुलसी के पौधे का पूजन करें. फिर उसके सामने तुलसी की माला पर 108 बार जप पूरा होने पर तुलसी के पौधे की 12 बार परिक्रमा करें. परिक्रमा करते हुए हर परिक्रमा के साथ दूध और जल से भगवान सूर्यनारायण को अर्ध्य देते हुए “ऊँ देवेन्द्राणि नमस्तुभ्यं” मंत्र को पढ़ते रहें.

लड़की को अपने दाएँ हाथ में दूध तो बाएँ हाथ में जल लेकर अर्ध्य देना होगा. दूध और जल से एक साथ ही बारह बार अर्ध्य देना होगा. प्रतिदिन नियम से पालन करने से कन्या के विवाह की बाधा दूर होकर शीघ्र विवाह के योग बनेगें.