ज्योतिष, वेदों के छ: अंग में से एक अंग है.
वेदों के छ: अंग निम्नलिखित हैं :-
- शिक्षा
- कल्प – कर्मकाण्ड
- व्याकरण
- निरुक्त – शब्दकोश
- छंद
- ज्योतिष – ग्रह,राशियाँ,नक्षत्र आदि इसके अंग है.
विद्वानों में हमेशा इस बात को लेकर मतान्तर रहा है कि ज्योतिष विज्ञान है या कला है ?हमारे दृष्टिकोण से हिन्दु वैदिक ज्योतिष का कुछ भाग विज्ञान है तो कुछ भाग कला के क्षेत्र में आता है. जब हम ग्रहों का खगोल के आधार पर अध्ययन करते है तो वह विज्ञान है. जब हम किसी कुण्डली का फलित करते है तो वह कला है.
किसी वस्तु का क्रमबद्ध, सुव्यवस्थित, संगठित ज्ञान प्राप्त करना ही विज्ञान कहलाता है. विज्ञान के द्वारा प्रयोगशाला के अंतर्गत किसी भी क्रिया की पुनरावृत्ति करके तथ्य की पुष्टि कर सकते हैं. ज्योतिष के अंतर्गत ग्रहों की स्थिति,गति,शक्ति का ज्ञान गणितीय पद्धति के अनुसार करते हैं जो कि 100 साल के पहले की किसी भी ग्रह के बारे में सत्य बताई जा सकती है. यही नहीं पंचांग के अंतर्गत हम देखते हैं कि ग्रहण, पूर्णिमा,अमावस्या आदि तिथियों का वर्णन पहले से कर सकते हैं. ज्योतिष एक विज्ञान है, इसमें कोई संदेह नहीं है, प्रयोगशाला में इसकी पुनरावृत्ति नहीं कर सकते हैं.
ज्योतिष का कलात्मक पक्ष किसी तथ्य को रचनात्मक रुप देना या रचनात्मक रुप से किसी के सामने प्रदर्शित करना कला कहलाता है. ज्योतिष के फलित भाग को हम कला कह सकते हैं. इसके अंतर्गत फलित देते समय हम ग्रहों की जन्मकालीन स्थिति,वर्तमान समय में स्थिति,ग्रहों की आपसी दृष्टियाँ,राशि,ऩक्षत्र,के संबंधों को ध्यान में रखते हुए, साथ ही देश,काल,पात्र को भी ध्यान में रखकर हम फलित की जो विवेचना करते हैं, उसमें कलात्मकता आ जाती है. अत: अंत में हम यह सकते हैं कि ज्योतिष का गणितीय और खगोलीय भाग पूर्ण विज्ञान है तथा फलित भाग कला है.
ज्योतिष की तीन शाखाएं अर्थात त्रिस्कन्ध हैं :-
- सिद्धान्त :- इसमें खगोल और गणितीय भाग आते हैं. इसमें मुख्य कार्य ग्रहों की स्थिति की गणना करना है.
- होरा :- दिन – रात जिस प्रक्रिया से बनते है वह होरा है. इसके अंतर्गत किसी व्यक्ति विशेष पर ग्रहों के प्रभाव का अध्ययन आता है.
- संहिता :- वर्ग विशेष,वस्तु,समूह विशेष,किसी घटना, विज्ञान,मुहुर्त आदि इसमें आते हैं.
इस त्रिस्कन्ध की दो उप-शाखाएं भी हैं :- शकुन और प्रश्न
- शकुन – (होरा-संहिता दोनों में है) अपने आप स्वत: होने वाले कार्य.
- प्रश्न – यह भी “होरा-संहिता” दोनो में है. किसी समय विशेष में प्रश्न पूछने के समय की कुण्डली.
ज्योतिष का उद्देश्य :- सांसारिक उद्देश्य : ज्योतिष, प्रारब्ध(परिस्थिति) पैदा करता है.
आध्यात्मिक उद्देश्य :- कतृत्व के अहंकार को मिटाना है (कर्त्ता के अभिमान से छुटकारा) प्रतिक्रिया के लिए देश,काल,पात्र की जानकारी आवश्यक है.