प्रदोष व्रत 2020
प्रदोष व्रत भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए रखे जाते हैं. सभी प्रदोष व्रत कल्याणकारी कहे गए हैं लेकिन कुछ खास प्रदोष व्रत करने से विशेष फल मिलते हैं, जैसे – शनि प्रदोष व्रत संतान की प्राप्ति के लिए माना गया है, भौम प्रदोष (मंगलवार को प्रदोष व्रत होने से यह भौम प्रदोष कहा जाता है) व्रत ऋण (Loans) दूर करने के लिए, सोम प्रदोष व्रत मन की शान्ति तथा सुरक्षा के लिए रखा जाता है.रवि प्रदोष व्रत, जिसे अर्क प्रदोष भी कहा जाता है, इसे आरोग्य प्राप्ति व आयु की वृद्धि के लिए कल्याणकारी माना गया है.
व्रत रखने वाले व्यक्ति को सूर्यास्त के समय दुबारा स्नान करके शिव का पूजन करके कथा करनी चाहिए. उसके बाद “भवाय भवनाशाय, महादेवाय धीमते । रूद्राय नीलकण्ठाय शर्वाय शशि मौलिने । उग्रायोग्राघनाशाय भीमाय भय हारिणे । ईशानाय नमस्तुभ्यं पशूनां पतये नम:।।” इस मंत्र से प्रार्थना करके भोजन करना चाहिए.
दिनाँक (Dates) | दिन (Days) | हिन्दु माह (Hindu Month) |
8 जनवरी | बुधवार | पौष माह – शुक्ल पक्ष |
22 जनवरी | बुधवार | माघ माह – कृष्ण पक्ष |
7 फरवरी | शुक्रवार | माघ माह – शुक्ल पक्ष |
20 फरवरी | बृहस्पतिवार | फाल्गुन माह – कृष्ण पक्ष |
7 मार्च | शनिवार | फाल्गुन माह – शुक्ल पक्ष – शनि प्रदोष |
21 मार्च | शनिवार | चैत्र माह – कृष्ण पक्ष – शनि प्रदोष |
5 अप्रैल | रविवार | चैत्र माह – शुक्ल पक्ष |
20 अप्रैल | सोमवार | वैशाख माह – कृष्ण पक्ष – सोम प्रदोष |
5 मई | मंगलवार | वैशाख माह – शुक्ल पक्ष – भौम प्रदोष |
20 मई | बुधवार | ज्येष्ठ माह – कृष्ण पक्ष |
3 जून | बुधवार | ज्येष्ठ माह – शुक्ल पक्ष |
18 जून | बृहस्पतिवार | आषाढ़ माह – कृष्ण पक्ष |
2 जुलाई | बृहस्पतिवार | आषाढ़ माह – शुक्ल पक्ष |
18 जुलाई | शनिवार | श्रावण माह – कृष्ण पक्ष – शनि प्रदोष |
1 अगस्त | शनिवार | श्रावण माह – शुक्ल पक्ष – शनि प्रदोष |
16 अगस्त | रविवार | भाद्रपद माह – कृष्ण पक्ष – रवि प्रदोष |
30 अगस्त | रविवार | भाद्रपद माह – शुक्ल पक्ष – रवि प्रदोष |
15 सितंबर | मंगलवार | प्रथम शुद्ध आश्विन कृष्ण पक्ष – भौम प्रदोष |
29 सितंबर | मंगलवार | प्रथम अधिक मास आश्विन शुक्ल पक्ष – भौम प्रदोष |
14 अक्तूबर | बुधवार | द्वित्तीय अधिक आश्विन कृष्ण पक्ष |
28 अक्तूबर | बुधवार | द्वित्तीय शुद्ध आश्विन शुक्ल पक्ष |
13 नवंबर | शुक्रवार | कार्तिक माह – कृष्ण पक्ष |
27 नवंबर | शुक्रवार | कार्तिक माह – शुक्ल पक्ष |
12 दिसंबर | शनिवार | मार्गशीर्ष माह – कृष्ण पक्ष |
27 दिसंबर | रविवार | मार्गशीर्ष माह – शुक्ल पक्ष |
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प्रदोष व्रत कोणसे दिन से करणा होता हे और ये दिन मे क्या खाना होता हे निर्जल यानी दिनभर या सुर्यास्त से रात तक कृपया मार्गदर्शन करे
कहा तो यही गया है कि प्रदोष व्रत में बिना जल पीए व्रत रखना होता है। सुबह स्नान करके भगवान शंकर, पार्वती और नंदी को पंचामृत व गंगाजल से स्नान कराकर बेल पत्र, गंध, चावल, फूल, धूप, दीप, नैवेद्य (भोग), फल, पान, सुपारी, लौंग, इलायची भगवान को चढ़ाएं। शाम के समय पुन: स्नान करके इसी तरह शिवजी की पूजा करें। शिवजी की षोडशोपचार (16 सामग्रियों से) पूजा करें। भगवान शिव को घी और शक्कर मिले जौ के सत्तू का भोग लगाएं। आठ दीपक आठ दिशाओं में जलाएं। आठ बार दीपक रखते समय प्रणाम करें। शिव आरती करें। शिव स्त्रोत, मंत्र जप करें। रात्रि में जागरण करें।
वैसे आप अपने घर के नजदीक किसी पंडित जी से जाकर पूछे कि क्या करना चाहिए क्योंकि व्रत रखने का अर्थ तो एक ही होता है लेकिन स्थान के हिसाब से रखने का तरीका थोड़ा भिन्न हो जाता है। जैसे शिवरात्रि का व्रत भी भोले शंकर के लिए है लेकिन मैने देखा है कि हिन्दुस्तान में उसे कई तरीको से रखा जाता है. कुछ दिन भर व्रत रखकर शाम को भोजन कर लेते हैं तो कुछ स्थान पर रात भर जागकर पूजा तथा व्रत किया जाता है। इसलिए बेहतर है कि आप जिस क्षेत्र से संबंध रखते हैं तो वहाँ के नियमो के अनुसार इस प्रदोष व्रत का पालन करें।
जै शिव शंकर में भी व्रत करता हूँ महादेव कि किरपा सें सुखी रहता हूँ
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