पीताम्बर: पीतवपु किरीटी,
चतुर्भुजो देवदु:खापहर्ता ।
धर्मस्य धृक सोमसुत: सदा मे,
सिंहाधिरुढ़ो वरदो बुधश्च ।।1।।
प्रियंगुकनकश्यामं रूपेणाप्रतिमं बुधम ।
सौम्यं सौम्यगुणोपेतं नमामि शशिनन्दनम ।।2।।
सोमसुनुर्बुधश्चैव सौम्य: सौम्यगुणान्वित: ।
सदा शान्त: सदा क्षेमो नमामि शशिनन्दनम ।।3।।
उत्पातरूपी जगतां चन्द्रपुत्रो महाद्युति: ।
सूर्यप्रियकरोविद्वान पीडां हरतु मे बुधं ।।4।।
शिरीषपुष्पसंकाशं कपिलीशो युवा पुन: ।
सोमपुत्रो बुधश्चैव सदा शान्तिं प्रयच्छतु ।।5।।
श्याम: शिरालश्चकलाविधिज्ञ:,
कौतूहली कोमलवाग्विलासी ।
रजोधिको मध्यमरूपधृक स्या-दाताम्रनेत्रो द्विजराजपुत्र: ।।6।।
अहो चन्द्रासुत श्रीमन मागधर्मासमुदभव: ।
अत्रिगोत्रश्चतुर्बाहु: खड्गखेटकधारक: ।।7।।
गदाधरो नृसिंहस्थ: स्वर्णनाभसमन्वित: ।
केतकीद्रुमपत्राभ: इन्द्रविष्णुप्रपूजित: ।।8।।
ज्ञेयो बुध: पण्डितश्च रोहिणेयश्च सोमज: ।
कुमारो राजपुत्रश्च शैशवे शशिनन्दन: ।।9।।
गुरुपुत्रश्च तारेयो विबुधो बोधनस्तथा ।
सौम्य: सौम्यगुणोपेतो रत्नदानफलप्रद: ।।10।।
एतानि बुधनामानि प्रात: काले पठेन्नर: ।
बुद्धिर्विवृद्धितां याति बुधपीडा न जायते ।।11।।
(इति मंत्रमहार्णवे बुधस्तोत्रम)
budh stotra is useful to me. i am interested in many such astrological details.
name Ravi joshi birth date 07/11/1980,time .4.55 pm,birth place ,tuljapur,mharashtra
which type dosha in kundli and suggstive upay thanking you ravi joshi
आपकी जन्म कुंडली में दशाक्रम खराब है, दोष ये है कि सभी ग्रह राहु/केतु के एक ओर हैं जिसे सर्पदोष कहा जाएगा. सूर्य जो आत्मा है वह नीच के हो गए हैं. गुरु जो भाग्य भाव के स्वामी हैं, छठे भाव में चले गए हैं. अभी शनि में राहु चल रहा है. शनि आपकी कुंडली में छठे भाव में है. वैसे तो छठे भाव में पाप ग्रह अच्छे होते हैं लेकिन जब इस भाव की दशा आती है तब इस भाव के फल भी बढ़ जाते हैं अर्थात रोग, ऋण तथा शत्रु बढ़ जाते हैं. साथ ही जाती हुई साढ़ेसाती भी है. मानसिक रुप से आप काफी विचलित दिखाई देते हैं.
सबसे पहले तो आप सूर्य को जल देना शुरु करें और आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ हर रविवार को सुबह के समय पढ़े. शनि की दशा है तो आप शनि के मंत्र का जाप शाम के समय 108 बार करें, जब तक शनि की दशा रहेगी. शनिवार के दिन आप अपाहिज लोगों को दान की वस्तुएँ दे सकते हैं. मंगलवार के दिन आप हनुमान जी को प्रसाद जरुर चढ़ाएँ और हनुमान चालीसा का पाठ सुबह या शाम को रोज करें. बृहस्पतिवार के दिन आप विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें इससे आपको काफी लाभ होगा.