पुरुषोत्तम सहस्त्रनाम स्तोत्रम्

इस स्तोत्र की विशेषता यह है कि इसमें वेदरूपी कल्पवृक्ष के परिपक्व फल “निगमकल्पतरोर्गलितं फलं” अर्थात श्रीमद्भागवतमहापुराण के प्रथम स्कन्ध

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