हनुमानबाहुक
संवत 1664 विक्रमाब्द के लगभग गोस्वामी तुलसीदास जी की बाहुओं में वात व्याधि की गहरी पीड़ा उत्पन्न हुई. फोड़े-फुंसियों
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संवत 1664 विक्रमाब्द के लगभग गोस्वामी तुलसीदास जी की बाहुओं में वात व्याधि की गहरी पीड़ा उत्पन्न हुई. फोड़े-फुंसियों
कहा जाता है कि श्री रामचन्द्र जी का राज्याभिषेक होने के बाद एक मंगलवार की सुबह की बात है कि
दोहा श्री गुरु चरन सरोज रज, निज मन मुकुरु सुधारी । बरनउं रघुबर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि ।।