कार्तिक माह माहात्म्य – तेईसवाँ अध्याय

तेईसवाँ अध्याय वर्णन आँवला तुलसी जान। पढ़ने-सुनने से ‘कमल’ हो जाता कल्यान।। नारद जी बोले – हे राजन! यही कारण

Continue reading

कार्तिक माह माहात्म्य – बाईसवाँ अध्याय

बाईसवें अध्याय की, जब लिखने लगा हूँ बात। श्री प्रभु प्रेरणा प्राप्त कर, कलम आ गई हाथ।। राजा पृथु ने

Continue reading

कार्तिक माह महात्म्य – इक्कीसवाँ अध्याय

लिखने लगा हूँ श्रीहरि के, चरणों में शीश नवाय। कार्तिक माहात्म का बने, यह इक्कीसवाँ अध्याय।। अब ब्रह्मा आदि देवता

Continue reading

कार्तिक माह माहात्म्य – बीसवाँ अध्याय

माँ शारदा की प्रेरणा, स्वयं सहाय। कार्तिक माहात्म का लिखूं, यह बीसवाँ अध्याय।। अब राजा पृथु ने पूछा – हे

Continue reading

कार्तिक माह माहात्म्य – उन्नीसवाँ अध्याय

श्री विष्णु मम् हृदय में, प्रेरणा करने वाले नाथ। लिखूँ माहात्म कार्तिक, राखो सिर पर हाथ।। राजा पृथु ने पूछा

Continue reading

कार्तिक माह माहात्म्य – अठारहवां अध्याय

लिखता हूँ मॉ पुराण की, सीधी सच्ची बात । अठारहवां अध्याय कार्तिक, मुक्ति का वरदात।। अब रौद्र रूप महाप्रभु शंकर

Continue reading

error: Content is protected !!