बिल्वाष्टकम्
बिल्वाष्टकम् में बेल पत्र (बिल्व पत्र) के गुणों के साथ-साथ भगवान शंकर का उसके प्रति प्रेम भी बताया गया है.
Astrology, Mantra and Dharma
बिल्वाष्टकम् में बेल पत्र (बिल्व पत्र) के गुणों के साथ-साथ भगवान शंकर का उसके प्रति प्रेम भी बताया गया है.
इस स्तोत्र का जप जो भी व्यक्ति प्रतिदिन करता है उसे बारह ज्योतिर्लिंगो जैसे दर्शन करने के समान फल की
जय शिव ओंकारा, हर जय शिव ओंकारा । ब्रह्मा विष्णु सदाशिव अर्द्धांगी धारा ।। जय शिव…. एकानन चतुरानन पंचानन राजे
प्रभुमीशमनीशमशेष गुणं गुणहीनमहीश गरलाभरणम । रण निर्जित दुर्जय दैत्यपुरं, प्रणमामि शिवं शिवकल्पतरुम ।।1।। गिरिराजसुतान्वित-वामतनुं तनुनिन्दितराजित कोटिविधुम । विधिविष्णुशिरोधृत-पादयुगं, प्रणमामि शिवं
नागेन्द्रहाराय त्रिलोचनाय, भस्मांगरागाय महेश्वराय । नित्याय शुद्धाय दिगम्बराय, तस्मै ‘न’काराय नम: शिवाय ।।1।। मन्दाकिनी-सलिल-चन्दन-चर्चिताय, नन्दीश्वर-प्रमथनाथ-महेश्वराय । मन्दारपुष्प – बहुपुष्प –
ऊँकारं विन्दुसंयुक्तं नित्यं ध्यायन्ति योगिन: । कामदं मोक्षदं चैव ऊँकाराय नमो नम: ।।1।। नमन्ति ऋषयो देवा नमन्त्यप्सरसां गणा: । नरा