आरती श्रीराम-लक्ष्मण जी की
अति सुख कौसिल्या उठि धाई । मुदित बदन मन मुदित सदनतें, आरति साजि सुमित्रा ल्याई ।। जनु सुरभी बन बसति
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अति सुख कौसिल्या उठि धाई । मुदित बदन मन मुदित सदनतें, आरति साजि सुमित्रा ल्याई ।। जनु सुरभी बन बसति