श्रीमदाद्यशंकराचार्यकृत – श्रीहनुमत्पंचरत्न स्तोत्रम्
इस स्तोत्र के जाप से पूर्व हनुमान जी के चित्र का इंतजाम कर लेना चाहिए क्योंकि उनके चित्र अथवा मूर्त्ति
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इस स्तोत्र के जाप से पूर्व हनुमान जी के चित्र का इंतजाम कर लेना चाहिए क्योंकि उनके चित्र अथवा मूर्त्ति
शनि कई बार गोचरवश अथवा अपनी दशा/अन्तर्दशा में कष्ट प्रदान करते हैं, ऎसे में जातक को घबराने की बजाय शनि
श्रीशनि एवं शनिभार्या स्तोत्र एक दुर्लभ पाठ माना गया है, शनि के अन्य स्तोत्रों के साथ यदि इस दुर्लभ
“भविष्य पुराण” में शनैश्चर स्तवराज स्तोत्र का उल्लेख किया गया है. जो भी व्यक्ति अथवा साधक इस स्तोत्र का नियमित
अंगं हरे: पुलकभूषणमाश्रयन्ती भृंगांगनेव मुकुलाभरणं तमालम् अंगीकृताखिलविभूतिरपांगलीला मांगल्यदास्तु मम मंगलदेवताया: ।।1।। मुग्धा मुहुर्विदधती वदने मुरारे: प्रेमत्रपाप्रणिहितानि गतागतानि । माला
मुदा करात्तमोदकं सदा विमुक्तिसाधकं कलाधरावतंकसकं विलासिलोकरंजकम् अनायकैकनायकं नमामि तं विनायम् नताशुभाशुनाशकं नमामि तं विनायम् नतेतरातिभीकरं नवोदितार्कभास्वरं नमत्सुरारिनिर्जरं नताधिकापदुद्धरम्