महाभागवत – देवीपुराण – तैंतीसवाँ अध्याय
इस अध्याय में कार्तिकेय जी द्वारा तारकासुर का वध, देवसेना में हर्षोल्लास का वर्णन किया गया है. श्रीमहादेवजी बोले –
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इस अध्याय में कार्तिकेय जी द्वारा तारकासुर का वध, देवसेना में हर्षोल्लास का वर्णन किया गया है. श्रीमहादेवजी बोले –
इस अध्याय में देवासुर-संग्राम में देवसेनापति कार्तिकेय तथा तारकासुर के भीषण युद्ध का वर्णन है. श्रीमहादेवजी बोले – तुरही के
इस अध्याय में कुमार कार्तिकेय का तारकासुर के विनाश के लिए ससैन्य उद्यत होना है, ब्रह्माजी द्वारा उन्हें वाहन के
इस अध्याय में देवताओं द्वारा देवी पार्वती की स्तुति, भगवान शंकर के तेज से षण्मुख कार्तिकेय का प्रादुर्भाव, देवताओं के
इस अध्याय में शिव-पार्वती का एकान्त-विहार है, पृथ्वी देवी का गोरूप धारण कर देवताओं के साथ ब्रह्माजी के पास जाना,
इस अध्याय में हिमालय द्वारा बारात का यथोचित सत्कार करना है, शिव-पार्वती के मांगलिक विवाहोत्सव का वर्णन है, शिव-पार्वती के