28 नवंबर 2020 को शनिवार के दिन बैकुण्ठ चतुर्दशी का व्रत किया जाएगा. शास्त्रों के अनुसार जो व्यक्ति एक हजार कमलों से भगवान विष्णु का पूजन कर के शिव की आराधना करते हैं वह भव बंधनों से मुक्त होकर बैकुंठ धाम को जाते हैं. कार्तिक शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को यह व्रत किया जाता है. इस दिन भगवान विष्णु की विधिवत पूजा कर के स्नान आचमन करके फिर भोग लगाएँ. इस दिन भगवान के भोग में खिचड़ी बनाते हैं और घी व आम का अचार रखकर भोग लगाकर फिर खुद भी इसी को प्रसाद रुप में खाते हैं.
बैकुण्ठ चतुर्दशी की कहानी – Story Of Baikuntha Chaturdashi
एक बार नारद जी बैकुण्ठ में भगवान विष्णु के पास गए तो विष्णु जी ने आने का कारण पूछा. नारद जी कहने लगे कि हे भगवन ! पृथ्वीवासी आपको कृपा निधान कहते हैं लेकिन इससे केवल आपके भक्त ही तर पाते हैं लेकिन साधारण नर-नारी नही तरते. इसलिए भगवन ! कोई ऎसा उपाय बताइए जिससे साधारण नर-नारी का भी बेड़ा पार लग पाए. यह सुनकर भगवान बोले कि कार्तिक शुक्ल की चतुर्दशी को जो नर-नारी मेरी भक्तिपूर्वक मेरी पूजा कर व्रत का पालन करेगें उन्हे स्वर्ग की प्राप्ति होगी.
भगवान विष्णु ने अपनी बात कह के द्वारपालों जय-विजय को आदेश दिया कि कार्तिक शुक्ल चतुर्दशी को स्वर्ग के द्वार खुले रखें. भगवान ने यह भी कहा कि इस दिन जो व्यक्ति जरा सा भी मेरा नाम ले लेगा उसे बैकुण्ठधाम ही मिलेगा.