मुहूर्त के लिए तिथियों को पांच समूहों में बांटा गया है :
नंदा तिथि – दोनों पक्षों की प्रथमा, षष्ठी और एकादशी नंदा तिथि कहलाती हैं.
भद्रा तिथि – दोनों पक्षों की द्वित्तीया, सप्तमी और द्वादशी तिथि भद्रा तिथि कहलाती है.
जया तिथि – दोनों पक्षों की तृतीया, अष्टमी और त्रयोदशी तिथि जया तिथि कहलाती है.
रिक्ता तिथि – दोनों पक्षों की चतुर्थी, नवमी और चतुर्दशी तिथि रिक्ता तिथि कहलाती है.
पूर्णा तिथि – दोनों पक्षों की पंचमी, दशमी और पूर्णिमा व अमावस्या तिथि पूर्णा तिथि कहलाती है.
शुक्ल पक्ष की पहली पांच तिथियां – प्रथमा, द्वितीया,तृतीया, चतुर्थी, पंचमी – अशुभ मानी जाती है क्योंकि यहाँ चंद्र निर्बल होता है. अगली पांच तिथियां – षष्ठी, सप्तमी, अष्टमी, नवमी, दशमी तिथियों को मध्यम बली माना जाता है और इससे अगली पांच तिथियों को पूर्ण बली माना जाता है जो एकादशी, द्वादशी, त्रयोदशी, चतुर्दशी तथा पूर्णिमा होती है.
कृष्ण पक्ष में इसका विपरीत होता है – पहली पांच बली, अगली पांच मध्यम बली और उससे अगली पांच निर्बल अथवा अशुभ.