एक नगर में एक साहूकार अपनी पत्नी के साथ रहता था लेकिन वह नि:संतान थे. वह दोनो भगवान शंकर की पूजा किया करते थे. एक दिन पार्वती जी कहने लगी कि यह आपकी इतनी पूजा करते हैं फिर आप इनकी इच्छा पूरी क्यूँ नहीं करते हैं? शंकर जी कहते हैं कि इन्हें संतान सुख नही है इसलिए ये इतनी पूजा करते हैं. पार्वती जी बोली कि आप इन्हें पुत्र क्यूँ नहीं दे रहे हैं. शंकर जी ने कहा कि इनके भाग्य में पुत्र का सुख नही है लेकिन पार्वती जी नहीं मानी और वह जिद करने लगी.
शंकर भगवान बोले कि ठीक है इन्हें पुत्र की प्राप्ति हो जाएगी लेकिन वह केवल बारह वर्ष तक ही जीवित रहेगा. साहूकार शंकर-पार्वती जी की बात सुन रजा था. कुछ समय बाद साहूकारनी ने पुत्र को जन्म दिया लेकिन साहूकार को कोई खुशी नही हुई. पूरे परिवार में इसका जश्न मनाया गया. उनका बेटा बड़ा हुआ तो साहूकारनी कहने लगी कि मैं अपने बेटे का ब्याह रचाऊँगी. साहूकार ने उसे बहुत मना किया लेकिन वह नहीं मानी तो साहूकार ने उसे कहा कि हमारे बेटे की आयु केवल बारह वर्ष तक ही है. साहूकारनी कहने लगी कि कोई बात नहीं. मैं इसका ब्याह करके अपने मन की तो कर लूँ!
साहूकार ने बेटे का विवाह कर दिया, घर में बहू आ गई और उन्होंने बहू को सारी बात बता दी कि उनके बेटे की आयु केवल 12 वर्ष की है. बहू ने कहा कि कोई बात नहीं, मेरे भाग्य में जो लिखा था वह हुआ. अब हम तीनों मिलकर पूजा किया करेगें और उन्होंने हर रोज पूजा आरंभ कर दी. एक दिन ऎसा भी आ गया जब लड़के की आयु पूरी हो गई. यमराज साहूकार के बेटे को लेने आ गए तो साहूकार कहने लगा कि मेरा पुत्र अपनी पत्नी के साथ है.
यमराज उसकी पत्नी के पास गए तो वह बोली – अभी तो मेरे पति ने जीवन का कोई सुख नहीं देखा और आप उसे लेने आ गए. यमराज बोले इसकी इतनी ही आयु थी जो यह भोग चुका. पत्नी ने कहा कि हे भगवान ! कोई ऎसा उपाय नहीं है जिससे मेरे पति की आयु बढ़ जाए. यमराज बोले कि यह क्या होता है? लेकिन भगवान बोले कि यमराज का काला कम्बल, लोहे का तसला, सवा पाँच रुपये उठाकर रख दे. एक वर्ष पूरा होने पर ये किसी को दे देना. तुम्हारे पति की आयु लम्बी हो जाएगी. जैसा भगवान ने बताया, बहू ने ऎसा ही किया और उसके पति की आयु लम्बी हो गई.
यमराज जी की जय !