श्रीरुद्राष्टकम

नमामीशमीशान निर्वाणरूपं, विभुं व्यापकं ब्रह्मवेदस्वरूपं । निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं, चिदाकाशमाकाशवासं भजेsहं ।।1।। अनुवाद: हे मोक्षस्वरूप, विभु, ब्रह्म और वेदस्वरूप,

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