लक्ष्मीस्तोत्रम्

इन्द्र उवाच  ऊँ नम: कमलवासिन्यै नारायण्यै नमो नम: । कृष्णप्रियायै सारायै पद्मायै च नमो नम: ।।1।। अर्थ – देवराज इन्द्र

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मार्गशीर्ष माह में श्रीपंचमी व्रत कथा

एक बार राजा युधिष्ठिर जी श्रीकृष्ण जी से पूछते हैं – “भगवन तीनों लोकों में लक्ष्मी दुर्लभ है लेकिन व्रत,

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