माघ माहात्म्य – नवाँ अध्याय
यमदूत कहने लगे मध्यान्ह के समय आया अतिथि, मूर्ख, पंडित, वेदपाठी या पापी कोई भी हो ब्रह्म के समान है.
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यमदूत कहने लगे मध्यान्ह के समय आया अतिथि, मूर्ख, पंडित, वेदपाठी या पापी कोई भी हो ब्रह्म के समान है.
पूर्व समय में सतयुग के उत्तम निषेध नामक नगर में हेमकुंडल नाम वाला कुबेर के सदृश धनी वैश्य रहता था.
एक समय श्री सूतजी ने अपने गुरु श्री व्यासजी से कहा कि गुरुदेव कृपा करके आप मुझे से माघ मास