माघ माहात्म्य – अठ्ठाईसवाँ अध्याय
वशिष्ठजी कहने लगे कि हे राजा दिलीप! बहुत से जन-समूह सहित अच्छोद सरोवर में स्नान करके सुखपूर्वक मोक्ष को प्राप्त
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वशिष्ठजी कहने लगे कि हे राजा दिलीप! बहुत से जन-समूह सहित अच्छोद सरोवर में स्नान करके सुखपूर्वक मोक्ष को प्राप्त
पथिक कहने लगा कि हे प्रेत! तुमने सारस के वचन किस प्रकार और क्या सुने थे. सो कृपा करके कहिए.
इतना कहकर भगवान अन्तर्ध्यान हो गए तब देवनिधि कहने लगे हे महर्षि! जैसे गंगाजी में स्नान करने से मनुष्य पवित्र
यमदूत कहने लगा कि जो कोई प्रसंगवश भी एकादशी के व्रत को करता है वह दुखों को प्राप्त नहीं होता.
चित्रगुप्त ने उन दोनों के कर्मों की आलोचना करके दूतों से कहा कि बड़े भाई कुंडल को घोर नरक में
पूर्व समय में सतयुग के उत्तम निषेध नामक नगर में हेमकुंडल नाम वाला कुबेर के सदृश धनी वैश्य रहता था.