कार्तिक माह माहात्म्य – सत्ताईसवाँ अध्याय
कृष्ण नाम का आसरा, कृष्ण नाम का ध्यान। सत्ताईसवाँ अध्याय अब, लिखने लगा महान।। पार्षदों ने कहा – एक दिन
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कृष्ण नाम का आसरा, कृष्ण नाम का ध्यान। सत्ताईसवाँ अध्याय अब, लिखने लगा महान।। पार्षदों ने कहा – एक दिन
जिसके सुनने से सब पाप नाश हो जाये। कार्तिक माहात्म्य का, लिखूं छठा अध्याय।। नारद जी बोले – जब दो
कार्तिक माह में दीपदान करने से स्त्रियों एवं पुरुषों द्वारा जन्म से लेकर अब तक अर्जित पाप कर्म नष्ट हो
एक बार ब्रह्मा जी ने नारद जी को कार्तिक माह के विषय में बताते हुए कहा कि कार्तिक माह भगवान
श्रीकृष्ण भगवान के चरणों में शीश झुकाओ। श्रद्धा भाव से पूजो हरि, मनवांछित फल पाओ।। सत्यभामा ने कहा – हे
सिमर चरण गुरुदेव के, लिखूं शब्द अनूप। कृपा करें भगवान, सतचितआनन्द स्वरूप।। भगवान श्रीकृष्ण आगे बोले – हे प्रिये! जब