कार्तिक माह माहात्म्य – सोलहवां अध्याय
सुनो लगाकर मन सभी, संकट सब मिट जायें । कार्तिक माहात्म का “कमल” पढो़ सोलहवां अध्याय ।। राजा पृथु ने
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सुनो लगाकर मन सभी, संकट सब मिट जायें । कार्तिक माहात्म का “कमल” पढो़ सोलहवां अध्याय ।। राजा पृथु ने
श्री विष्णु भगवान की कृपा, हो सब पर अपरम्पार। कार्तिक मास का ‘कमल” करे पन्द्रहवाँ विस्तार।। राजा पृथु ने नारद
कार्तिक मास का आज, लिखूं चौदहवाँ अध्याय। श्री हरि कृपा करें, श्रद्धा प्रेम बढाएँ।। तब उसको इस प्रकार धर्मपूर्वक राज्य
कार्तिक कथा को सुनो, सभी सहज मन लाय। तेरहवाँ अध्याय लिखूँ, श्री प्रभु शरण में आय।। दोनो ओर से गदाओं,
सुख भोगे जो कथा, सुने सहित विश्वास। बारहवाँ अध्याय लिखे, ‘कमल’ यह दास।। नारद जी ने कहा – तब इन्द्रादिक
जिसको जप कर जीव, हो भवसागर से पार। ग्यारहवें अध्याय का, ‘कमल’ करे विस्तार।। एक बार सागर पुत्र जलन्धर अपनी