कार्तिक माह माहात्म्य – पांचवाँ अध्याय
प्रभु मुझे सहारा है तेरा, जग के पालनहार। कार्तिक मास माहात्म की, कथा करूँ विस्तार।। राजा पृथु बोले – हे
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प्रभु मुझे सहारा है तेरा, जग के पालनहार। कार्तिक मास माहात्म की, कथा करूँ विस्तार।। राजा पृथु बोले – हे
एक बार ब्रह्मा जी ने नारद जी को कार्तिक माह के विषय में बताते हुए कहा कि कार्तिक माह भगवान
एक समय की बात है किसी नगर में एक बूढ़ा व्यक्ति रहता था और उसकी सात बहुएँ थी. एक बार
किसी गाँव में एक बुढ़िया रहती थी और वह कार्तिक का व्रत रखा करती थी. उसके व्रत खोलने के समय