हनुमानबाहुक

  संवत 1664 विक्रमाब्द के लगभग गोस्वामी तुलसीदास जी की बाहुओं में वात व्याधि की गहरी पीड़ा उत्पन्न हुई. फोड़े-फुंसियों

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