गंगा स्तुति

जय जय भगीरथनन्दिनि, मुनि-चय चकोर-चन्दिनि, नर-नाग-बिबुध-बन्दिनि जय जह्नु बालिका। बिस्नु-पद-सरोजजासि, ईस-सीसपर बिभासि, त्रिपथगासि, पुन्यरासि, पाप-छालिका।।1।। अर्थ – हे भगीरथनन्दिनी! तुम्हारी

Continue reading

error: Content is protected !!