कार्तिक माह माहात्म्य – पांचवाँ अध्याय

प्रभु मुझे सहारा है तेरा, जग के पालनहार। कार्तिक मास माहात्म की, कथा करूँ विस्तार।। राजा पृथु बोले – हे

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