आरती श्री जानकी जी

आरती श्रीजनक दुलारी की। सीताजी रघुबर प्यारी की – टेक   जगत-जननि जग की विस्तारिणि, नित्य सत्य साकेत-विहारिणि, परम दयामयि

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