माघ माहात्म्य – आठवाँ अध्याय

यमदूत कहने लगा कि तुमने बड़ी सुंदर वार्ता पूछी है. यद्यपि मैं पराधीन हूँ फिर भी तुम्हारे स्नेहवश अपनी बुद्धि

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