दीपावली अथवा दीवाली 2023

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2023 में दीवाली 13 नवंबर को  मनाई जाएगी. कार्तिक अमावस्या को बड़ी दीवाली के रुप में मनाया जाता है. पुराणों में ऎसा उल्लेख भी मिलता है कि लक्ष्मी जी का पूजन भगवान नारायण ने ही बैकुंठ धाम में सबसे पहले किया था. दीवाली का यह त्यौहार मुख्यत: पाँच दिन तक चलता है क्योंकि यह धन तेरस से आरंभ होकर भैया दूज पर जाकर खतम होता है. दीवाली के दिन लक्ष्मी जी के साथ गणेश जी की पूजा भी की जाती है. 

इस अमावस्या के दिन कई स्थानों पर सुबह के समय पितरों की धोक भी मारी जाती हैं. सुबह से घर को सजाया जाता है. शाम को पूजा कर के घर को रोशनी से जगमग करते हैं. बहुत से दीए जलाए जाते हैं और पकवान भी बनाते हैं. रात को बच्चे व बड़े मिलकर पटाखे जलाते हैं. पूजा स्थान पर रात भर एक दीपक जलाया जाता है जो सुबह तक जलता है. 

 

लक्ष्मी जी की कहानी 

किसी नगर में एक साहूकार था और उसकी एक बेटी भी थी. वह हर रोज पीपल सींचने जाती थी. उसमें से रोज लक्ष्मी जी बाहर निकलती और चली जाती थी. एक दिन लक्ष्मी जी ने साहूकार की लड़की से कहा कि तुम मेरी सहेली बनोगी? लड़की ने कहा कि मैं अपने पिताजी से पूछकर कल बताऊँगी. साहूकार ने सारी बात सुनकर लड़की से कहा कि वह तो लक्ष्मी है, हमें क्या चाहिए, तू बन जा उसकी सहेली. अगले दिन लड़की फिर पीपल सींचने गई तो लक्ष्मी जी निकलकर आई. लड़की ने कहा कि ठीक है मैं तुम्हारी सहेली बन जाती हूँ. 

लक्ष्मी जी की सहेली बनने के कुछ दिन बाद ही लक्ष्मी जी साहूकार की बेटी को अपने घर जीमने के लिए न्यौता देती हैं. घर आकर लड़की अपने पिता को जीमने की बात बताती हैं तो साहूकार कहता है कि ठीक है चली जा पर घर संभालकर जाना. लक्ष्मी जी के यहाँ जब लड़की जीमने गई तो लक्ष्मी जी ने उसका बहुत सत्कार किया. उसे शाल-दुशाला दिया और जाते हुए बहुत से रुपये भी दिए और कहा कि अब मैं तुम्हारे घर जीमने आऊँगी. लड़की ने हाँ कर दी. 

लड़की घर आकर चुपचाप बैठ गई तो उसके पिता ने इसका कारण पूछा. उसने कहा कि लक्ष्मी जी ने मेरा बहुत आदर-सत्कार किया और मुझे बहुत कुछ दिया लेकिन हम उसे क्या दे सकते है? हमारे घर में तो कुछ भी नहीं है? पिता ने कहा कि जैसे भी हैं जो भी हैं हम उसी से जिमा देगें. तुम गोबर मिट्टी से चौका-चूल्हा लीप लो. तुम चौमुखा दीपक जलाकर लक्ष्मी जी का नाम लेकर् बैठ जाना. लड़की सारी सफाई कर के लड्डू लेकर बैठ गई. उसी समय एक रानी नहा रही थी तो एक चील उसके गले से नौलखा हार लेकर उड़ गई और जब चील ने लड़की के हाथ में एक लड्डू देखा तो वह लड्डू लेकर और हार छोड़कर चली गई. 

लड़की ने हार हाथ में आने पर उसे तोड़कर वह सुनार के पास ले गई और सामान लाने लगी. सुनार ने कहा कि क्या चाहिए? तब उसने कहा कि सोने की चोकी, सोने का दुशाला, सोने का थाल दे दे. मोहर भी दे और सारी सामग्री भी दे. मैं छत्तीस प्रकार का व्यंजन बना सकूँ इतना सामान दे. सभी चीजें लाकर उसने रसोई बनाई और तब गणेश जी से कहा कि लक्ष्मी जी को बुलाओ. आगे गणेश जी और उनके पीछे लक्ष्मी जी चली आई. लड़की ने चौकी बिछाकर लक्ष्मी जी से कहा कि इस पर बैठ जा तो लक्ष्मी जी बोली कि इस पर तो राजा-रानी भी नहीं बैठे, कोई भी नहीं बैठा! तब लड़की ने कहा कि मेरे यहाँ तो बैठना पड़ेगा नहीं तो मेरे माँ-बाप, भाई-बहन और मेरी पोते-बहुएँ क्या कहेगें, पड़ोसन मेरे बारे में क्या सोचेगी ! 

लक्ष्मी जी साहूकार की बेटी की सहेली बनी थी तो उनकी 28 पीढ़ियों तक यहीं रहना था इसलिए वह चौकी पर बैठ गई. लड़की तब उनकी बहुत खातिर की और जैसे लक्ष्मी जी ने किया था ठीक वैसे ही उसने भी सब काम किए. लक्ष्मी जी उससे बहुत प्रसन्न हुई और उन्होंने उसके घर में बहुत रुपया-धन भर दिया. घर भर में लक्ष्मी हो गई. साहूकार की बेटी ने लक्ष्मी जी को बिठाते हुए कहा कि तुम अभी बैठी रहना, मैं अभी आ रही हूँ और यह कहकर वह चली गई. लक्ष्मी जी वहीं बैठी रही और गई नहीं. उसने घर में बहुत दौलत भर दी थी. 

हे लक्ष्मी माता ! जैसे आपने साहूकार की बेटी को धन से भरा वैसा ही सभी को भरना. सभी के दुख दरिद्रता दूर कर सबकी मनोकामनाएँ पूर्ण करना.