नक्षत्रों के वृक्ष । Nakshatra Tree

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हर नक्षत्र के अधीन एक वृक्ष अथवा पेड़ जरुर आता है. कोई भी जातक अपने नक्षत्र के अनुसार वृक्ष लगा सकता है जिससे शुभ फलों की वृद्धि होती है. यदि जन्म नक्षत्र अथवा गोचर के समय कोई नक्षत्र पीड़ित चल रहा हो तब उस नक्षत्र से संबंधित वृक्ष की पूजा करने से पीड़ा से राहत मिलती है. इस बात का उल्लेख हमारे शास्त्रों में भी मिलता है. नीचे दी गई तालिका में हर नक्षत्र के सामने उससे संबंधित वृक्ष दिया गया है :-

नक्षत्र का नाम संबंधित वृक्ष अथवा पेड़
अश्विनी केला, आक, धतूरा
भरणी केला, आंवला
कृत्तिका गूलर
रोहिणी जामुन
मृगशिरा खैर
आर्द्रा आम, बेल
पुनर्वसु बांस
पुष्य पीपल
आश्लेषा नाग केसर अथवा चंदन
मघा बड़
पूर्वाफाल्गुनी ढाक
उत्तराफाल्गुनी बड़ अथवा पाकड़
हस्त रीठा
चित्रा बेल
स्वाति अर्जुन
विशाखा नीम अथवा विकंक
अनुराधा मौलसिरी
ज्येष्ठा रीठा
मूल राल का पेड़
पूर्वाषाढ़ा मौलसिरी/जामुन
उत्तराषाढ़ा कटहल
श्रवण आक
धनिष्ठा शमी/सेमर
शतभिषा कदम्ब
पूर्वाभाद्रपद आम
उत्तराभाद्रपद पीपल/सोनपाठा
रेवती महुआ

यदि उपरोक्त वृक्ष जातक के पास उपलब्ध नहीं हो पाते हैं तब कुछ ऎसे वृक्ष भी हैं जिनका प्रतिदिन उपाय करने पर हर नक्षत्र की पीड़ा दूर होती हैं. जैसे आम, पीपल, गूलर, बड़, जामुन ये ऎसे पेड़ हैं जो सरलता से हर जगह उपलब्ध रहते हैं. इन पेडों में पानी देना, इनकी देखभाल करना, इन पेड़ों को नई जगह पर लगाना, परिक्रमा करना, इनके नीचे खाने का सामान डालना जिसे चींटियाँ खा लेती हैं आदि कार्य करने से हर नक्षत्र का दोष दूर हो जाता है. प्रतिदिन इन पेडो़ के दर्शन मात्र से नक्षत्र का दोष दूर हो जाता है.