मंगल क्षेत्र अथवा मंगल पर्वत

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हथेली में मंगल के दो क्षेत्र पाए जाते हैं जो उन्नत मंगल (Positive Mars) और अवनत मंगल (Negetive Mars) के नाम से जाने जाते हैं। जीवन रेखा हथेली में जहाँ से शुरु होती है उसके नीचे का क्षेत्र तथा उससे घिरा हुआ शुक्र पर्वत के ठीक ऊपर फैले हुए भाग को मंगल क्षेत्र के कहते हैं। मुख्य तौर पर इस पर्वत को युद्ध का प्रतीक माना जाता है। जो मंगल प्रधान व्यक्ति होगा वह साहसी, निडर तथा शक्तिशाली होता है। जिन व्यक्तियों के हाथों में मंगल क्षेत्र बलवान होता है वे कायर अथवा दब्बू किस्म के नहीं होते हैं। ऎसे व्यक्तियों के जीवन में दृढ़ता और सन्तुलन रहता है। यदि किसी व्यक्ति की हथेली में मंगल क्षेत्र का अभाव रहता है तो उस व्यक्ति को कायर समझना चाहिए।

जो मंगल प्रधान व्यक्ति होते हैं वह हृष्टपुष्ट और शरीर की पूरी लंबाई लिए होते हैं क्योंकि मंगल स्वयं एक बलिष्ठ व्यक्ति का प्रतिनिधित्व करता है। ये अपने जीवन में अन्याय को बिलकुल भी सहन नहीं करते हैं। ऎसे व्यक्ति पुलिस विभाग में या आर्मी में काफी ऊँचे पद तक पहुँचते हैं। शासन करने का गुण इनके भीतर जन्म से ही होता है और मंगल प्रधान व्यक्ति ही समाज में नेतृत्व करने में सक्षम होते हैं।

यदि किसी हाथ में मंगल पर्वत बहुत ज्यादा विकसित हो तब ऎसा व्यक्ति दुराचारी, अत्याचारी तथा अपराधी होता है। समाज विरोधी कार्यों में इन्हें सदा आगे देखा जा सकता है। इनका स्वभाव लड़ाकू व्यक्तियों जैसा होता है। दूसरों से अपनी बात जबर्दस्ती मनवाने की इनकी प्रवृत्ति होती है। ऎसे व्यक्ति बात-बात पर लड़ने वाले, अपने अधिकारों के लिए सब कुछ बलिदान करने वाले तथा लम्पट व धूर्त होते हैं।

यदि किसी हाथ में मंगल क्षेत्र का झुकाव शुक्र क्षेत्र की ओर हो तो वह बात निश्चित समझनी चाहिए कि उस व्यक्ति में सद्गुणों की अपेक्षा दुर्गुण विशेष होगें। ऎसे व्यक्ति यदि शत्रुता रखेगें तो भयंकर शत्रु होगें और यदि मित्रता का व्यवहार करेंगे तो अपना सब कुछ बलिदान करने के लिए तैयार रहेगें। ऎसे व्यक्ति झूठी शान-शौकत, व्यर्थ का आडंबर तथा प्रदर्शन पसंद करते हैं। वैसे तो ये खुद डरपोक किस्म के होते हैं लेकिन दूसरों को गीदड़ भभकी देकर अपना काम निकलवाने में कुशल होते हैं।

सही मायनों में ऎसे व्यक्ति रूखे, कर्कश व कठोर होते हैं। यदि मंगल पर्वत पर रेखाएँ विशेष रूप से दिखाई दें तो यह समझना चाहिए कि ऎसा व्यक्ति युद्ध प्रिय होता है। इस प्रकार का व्यक्ति आगे चलकर सेनाध्यक्ष बन सकता है अथवा भयंकर डाकू भी बन सकता है। अगर इन्हें जोश दिला दिया जाए तो ये सब कुछ बलिदान करने के लिए तैयार रहते हैं। मंगल पर्वत पर त्रिकोण, चतुर्भुज अथवा किसी प्रकार के बिन्दु शुभ नहीं कहे जाते। ऎसे चिन्ह व्यक्ति विशेष के रोग को स्पष्ट करते हैं और रक्त से संबंधित बीमारी उनके जीवन में बराबर बनी रहती है।

यदि मंगल पर्वत भली प्रकार से विकसित हो तथा साथ ही हथेली का रंग भी लालिमा लिए हुए हो तो वह व्यक्ति निश्चय ही ऊँचा पद प्राप्त करता है। अपने जीवन में वह संघर्षों व बाधाओं की परवाह न करके अपने लक्ष्य तक पहुँच जाने में पूर्ण सफलता प्राप्त करता है। हथेली का पीला रंग व्यक्ति को अपराध भावना की ओर प्रवृत्त करता है। यदि हथेली का रंग सामान्य नीलापन लिए हुए है तब ऎसा व्यक्ति गठिया का रोगी हो सकता है। ऎसे व्यक्ति महत्त्वाकांक्षी होते हैं और अपना लक्ष्य इन्हें सदा ध्यान में रहता है और अपने लक्ष्य की ओर बढ़ते रहते हैं। यदि ये बिजनेस करते हैं तो मेडिकल आदि में लाईन में ये विशेष रुप से सफलता प्राप्त कर सकते हैं।

यदि मंगल पर्वत उभरा हुआ हो और हाथ की अंगुलियाँ कोणदार हों तब ऎसा व्यक्ति आदर्श प्रिय होता है। वर्गाकार अंगुलियाँ व्यक्ति के व्यवहारिक होने तथा जीवन में फूंक-फूंक कर कदम रखने की सूचक होती हैं। ऎसे व्यक्ति चतुर व चालाक होने के साथ-साथ अपने हितों की ओर विशेष ध्यान देने वाले होते हैं। यदि अंगुलियाँ गठीली हों तथा मंगल पर्वत उन्नत हो तब व्यक्ति तर्क करने वाला तथा अपने जीवन में सोच-समझ कर कार्य करने वाला होता है। यदि मंगल पर्वत पर क्रॉस का चिन्ह दिखाई दे तो उस व्यक्ति की मृत्यु निश्चित तौर पर युद्ध में होती है अथवा चाकू लगने से होती है। यदि मंगल पर्वत पर आड़ी-तिरछी रेखाएँ हों और उससे जाल-सा बन गया हो तो निश्चय ही उसकी मृत्यु दुर्घटना के फलस्वरूप होती है।

योग कुछ भी बनते हों लेकिन सच ये है कि मंगल पर्वत से ही व्यक्ति साहसी, निर्भीक और स्पष्ट वक्ता बनता है।