जन्म कुंडली अथवा लग्न कुंडली – Birth Chart Or Lagna Kundali
किसी भी व्यक्ति के जन्म के समय आकाश में ग्रह नक्षत्रों की जो स्थिति होती है उसे जन्म अथवा लग्न कुंडली कहा जाता है अथवा जन्म के समय आकाशीय नक्शे को जन्म कुंडली कहा जाता है. जन्म के समय के ग्रहों की स्थिति को जन्म कुंडली के रुप में लिख दिया जाता है. जन्म कुंडली में कुल बारह खाने बने होते हैं और उस समय के ग्रह जिन राशियों में भ्रमण कर रहे होते हैं उन्हें उन राशियों में लिख दिया जाता है.
उत्तर भारतीय कुंडली – North India Style Birth Chart
उत्तर भारतीय जन्म कुंडली में कुल बारह खाने होते हैं और आड़े तिरछी रेखाएँ खींचकर बारह खाने बनाए जाते हैं. इस पद्धति में भाव स्थिर होते हैं और राशियाँ चलायमान होती है. इसका अर्थ यह हुआ कि जन्म के समय जो राशि भचक्र(Zodiac) पर उदय होती है उसे प्रथम भाव में लिख दिया जाता है और यही राशि लग्न राशि कहलाती है.
दक्षिणी भारतीय कुंडली – South India Style Birth Chart
दक्षिणी भारतीय पद्धति में भी बारह भावों का ही प्रचलन है और ग्रह भी नौ ही होते हैं, लेकिन इस पद्धति में राशियाँ स्थिर होती है और भाव बदल जाते हैं. कुंडली एक वर्गाकार आकार में होती है.
ग्रह – Planets
जन्म कुंडली बनाने में कुल नौ ग्रहों का उपयोग किया जाता है. इनमें से सात ग्रहों का भौतिक अस्तित्व है लेकिन दो छाया ग्रह हैं जिनका महत्व बाकि सात के समान जीवन पर पड़ता है. पृथ्वी को केन्द्र मानकर सूर्य को ग्रह का दर्जा दिया गया है जबकि यह स्थिर है परंतु इसे पृथ्वी के समान गतिमान माना गया है. चंद्रमा पृथ्वी का उपग्रह है लेकिन इसका मानव जीवन पर अत्यधिक प्रभाव पड़ता है और यह व्यक्ति के मन को नियंत्रित रखता है इसलिए इसे भी ग्रहों में शामिल किया गया है. इन दोनों के अतिरिक्त मंगल, बुध, बृहस्पति, शुक्र व शनि भौतिक अस्तित्व रखने वाले ग्रह हैं. राहु व केतु दो छाया ग्रह हैं जिन्हें नवग्रह में शामिल किया गया है.
इस प्रकार सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, बृहस्पति, शुक्र, शनि, राहु व केतु मानव जीवन को प्रभावित करने वाले नौ ग्रह हैं.
जन्म कुंडली के बारह भाव – Twelve Houses of Birth Chart
जन्म कुंडली का निर्माण बारह खानों को बनाकर होता है और हर खाना जन्म कुंडली का भाव कहलाता है. पहले भाव से लेकर बारहवें भाव तक हर भाव का अपना स्वतंत्र महत्व होता है. हर भाव जीवन के किसी ना किसी क्षेत्र से जुड़ा होता है. हर भाव से व्यक्ति के शारीरिक अंग का विश्लेषण भी किया जाता है. सभी बारह भावों को निम्नलिखित रुप से जाना जाता है :
प्रथम भाव – तनु भाव
द्वितीय भाव – धन भाव
तृतीय भाव – सहज भाव
चतुर्थ भाव – सुख भाव
पंचम भाव – पुत्र भाव
षष्ठ भाव – रिपु भाव
सप्तम भाव – दारा भाव
अष्टम भाव – आयु भाव
नवम भाव – भाग्य भाव
दशम भाव – कर्म भाव
एकादश भाव – आय भाव
द्वादश भाव – व्यय भाव
राशियाँ – Signs in Zodiac
जन्म कुंडली के निर्माण में राशियों का अपना महत्व है. कुल बारह राशियाँ होती हैं जो बारी-बारी से भचक्र पर उदय होती है. पृथ्वी अपनी दैनिक परिक्रमा 24 घंटे में पूरा करती है इस प्रकार मोटै तौर से अनुमान लगाने पर एक राशि दो घंटे के लिए भचक्र पर उदय होती है. सूर्य जिस राशि में होता है सूर्योदय के समय वही राशि भचक्र पर भी उदय होती है. जन्म के समय ग्रह किसी ना किसी राशि में स्थित होते हैं.
सभी बारह राशियों को कोई ना कोई नाम भी हमारे ऋषि-मुनियों द्वारा दिया गया है और यह नाम आकाश में दिखाई देने वाली इनकी आकृति पर दिया गया है. कई तारे मिलकर एक राशि का निर्माण करते हैं और जिस रुप में यह तारे दिखाई देते हैं उसी रुप में इनको नाम दिया गया है जो निम्नलिखित हैं:-
1 – मेष राशि – इसकी आकृति मेष अर्थात मेढ़े के समान दिखाई देती है.
2 – वृष राशि – यह वृषभ अर्थात बैल के समान आकृति वाली है.
3 – मिथुन राशि – यह राशि एक स्त्री-पुरुष के जोड़े के समान है.
4 – कर्क राशि – इस राशि का आकार केकड़े की आकृति बनाता है.
5 – सिंह राशि – यह शेर के समान दिखने वाली राशि है.
6 – कन्या राशि – यह एक लड़की की आकृति की राशि है.
7 – तुला राशि – इस राशि का आकार एक तराजू के समान है.
8 – वृश्चिक राशि – यह राशि बिच्छू की आकृति की तरह नजर आती है.
9 – धनु राशि – इस राशि में घोड़े व आदमी की मिली जुली आकृति है.
10 – मकर राशि – यह मगर की आकृति के समान है.
11 – कुंभ राशि – यह राशि घड़े के समान दिखाई देने वाली राशि है.
12 – मीन राशि – इस राशि का आकार दो मछलियों का है जो एक-दूसरे के विपरीत दिशा में मुँह किए हैं.
नक्षत्र – Constellation
आकाश में तारों के समूह को नक्षत्र कहा गया है और यह समूह किसी ना किसी आकृति के रुप में आकाश में नजर आता है और इन्हीं आकृतियों के आधार पर नक्षत्रों का नामकरण किया गया है. वैसे तो मुख्य रुप से कुल 27 नक्षत्र होते हैं लेकिन अभिजित को शामिल किया जाए तब 28 नक्षत्र माने जाएंगे. चंद्रमा एक नक्षत्र में एक दिन रहता है. इस तरह से 27 दिन में यह अपना भ्रमण पूरा करता है. 27 नक्षत्रों के नाम निम्नलिखित है :-
नक्षत्र – Constellation | समूह में तारों की संख्या – Number Of Stars in the Group |
अश्विनी | 3 |
भरणी | 3 |
कृतिका | 6 |
रोहिणी | 5 |
मृगशिरा | 3 |
आर्द्रा | 1 |
पुनर्वसु | 5 या 6 |
पुष्य | 1 या 3 |
आश्लेषा | 5 |
मघा | 5 |
पूर्वाफाल्गुनी | 2 |
उत्तराफाल्गुनी | 2 |
हस्त् | 5 |
चित्रा | 1 |
स्वाति | 1 |
विशाखा | 5 या 6 |
अनुराधा | 7 |
ज्येष्ठा | 3 |
मूल | 9 या 11 |
पूर्वाषाढ़ा | 4 |
उत्तराषाढ़ा | 4 |
श्रवण | 3 |
धनिष्ठा | 5 |
शतभिषा | 100 |
पूर्वाभाद्रपद | 2 |
उत्तराभाद्रपद | 2 |
रेवती | 32 |