जय लक्ष्मी-विष्णो ।
जय लक्ष्मीनारायण,
जय लक्ष्मी-विष्णो ।
जय माधव, जय श्रीपति,
जय, जय, जय विष्णो ।। जय. ।।
जय चम्पा सम-वर्णे
जय नीरदकान्ते ।
जय मन्द्-स्मितशोभे
जय अदभुत शान्ते ।। जय. ।।
कमल वराभय-हस्ते
शंखदिकधारिन ।
जय कमलालयवासिनि
गरुड़ासनचारिन ।। जय. ।।
सच्चिन्मयकरचरणे
सच्चिन्मयमूर्ते ।
दिव्यानन्द-विलासिनि
जय सुखमयमूर्ते ।। जय. ।।
तुम त्रिभुवन की माता,
तुम सबके त्राता ।
तुम लोक – त्रय – जननी,
तुम सबके धाता ।। जय. ।।
तुम धन – जन – सुख – संतति –
जय देनेवाली ।
परमानन्द – बिधाता
तुम हो वनमाली ।। जय. ।।
तुम हो सुमति घरों में,
तुम सबके स्वामी ।
चेतन और अचेतन के अन्तर्यामी ।। जय. ।।
शरणागत हूँ,
मुझ पर कृपा करो माता ।
जय लक्ष्मी-नारायण
नव-मंगल-दाता ।। जय. ।।